
किंकाबज़ार. इन, क्युँ, कैसे और क्या है?
आजके व्यवसायिक-व्यापारी व्यवस्था में ( मूल उत्पादकोंके उत्पाद का खरीदना, भंडारण, तथा उपभोक्ताओंको विपणन, विक्रि, वितरण करना इ. ), ग्रामिण इलाखे के, किसान, कारीगर, सुक्ष्म तथा लघु उद्योजक असंगठित होने के वजहसे शोषित हैं और इसी वजहसे बडे पैमानेपे, उत्पादक असक्षम रहते हैं किसान, कारीगर, सुक्ष्म तथा लघु उद्योगोंका अगर शाश्वत सक्षमीकरण होना है तो, उन्हे संगठित होके काम करना चाहिये।
यदि किसान सहीत हर एक छोटे उत्पादक एक स्थानीय एफ.पी.सी. या पी.सी. के माध्यमसे अपने समुहमे (क्लस्टर) परिवर्तीत तथा संगठित हो ते है, तो वह समुह अपने उत्पादक कंपनी का एक ब्रँड बनाकर, खुदका उत्पादन सीधे उपभोक्ताओंको बेचनेमे सक्षम होगा। इसका अर्थ है की उन उत्पादकोंको, बिना किसी एजंट, बिचौलिए या बेपारी के बिना अंतिम खुदरा मुल्य प्राप्त होगा| अब इसे संभव करने के लिए ऐसी व्यवस्था का निर्माण जरूरी है, जिसे हम ई-वाणिज्य या ई-कॉमर्स कहते हैं।

किंकाबज़ार.इन असलमे क्या हैं?
यह एक ऑनलाइन (ई-कॉमर्स पोर्टल ) ई-वाणिज्य आंतरजालीय मंच है। जिसे हम किंकाबज़ार.इन नामसे जानते है। इसके माध्यमसे उत्पादकों का उत्पादन सभी प्रकारके एजंट, बिचौलिओंको हटाकर उपभोक्ताओं के घर तक सीधा पहुँचेगा।
यह एक मंच हैं जो, मासिक किराना और पारंपारिक कारीगरोंके उत्पादों को ओनलाईन विपणन, विक्रि और वितरण की उचित सुविधा प्रदान करता है। ग्रोसरी तथा किराना सेक्शन में हमारे पास लगभग 2१ श्रेणियां हैं, जिनमें से ८ को या तो प्रमाणित या लैब टेस्टेड के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। लैब रिपोर्ट और प्रमाणन के सभी दस्तावेज अग्रिम रूप से उपलब्ध हैं।
इसकी क्या
जरुरत हैं ?
हमारे एन.जी.ओ. संस्था ने, यह सब ध्यान मे रखते हुए, पूरे भारतवर्ष के किसान, कारीगर,सुक्ष्म और लघु उद्योजकोंके लिए; एक ओनलाईन ई-वाणिज्य व्यवस्था का निर्माण किया है, जिसका नाम है, www.kinkabazar.in जिसके पहले चरण की शुरुआत कर रहे है, घर के जिवनावश्यक वस्तुओंके साथ |
मतलब पूरा किराना सामान इस मंच के व्यवस्था मे उपलब्ध कराया जा रहा हैं। शुरुआती दौरमें किसान, सुक्ष्म और लघु-उद्योजक लाभान्वित होंगे। किसान, बेपारी और बिचौलिओंको सरकारी न्युनतम विक्रि-मुल्य पे बेचने के बजाय अब अधिकतम खुदरा मुल्य पे ( बनियेके दुकान पे बेचे जानेवाला विक्रि-मुल्य) उपभोक्ता को बेचेगा यह उसका शाश्वत सक्षमीकरण के तरफ पहला कदम होगा। किसान कंपनियोंको इस तरहसे विपणन, विक्रि और वितरण हेतू ई-वाणिज्य ओनलाइन सुविधा, हमारे समाजसेवी संस्था ने कमसे कम सेवा-मुल्य पे, और खर्चेमें उपलब्ध की हैं। इसके माध्यमसे हर एक किसान एम.एस.पी. MSP भुल जाएगा और एम. आर.पी. MRP पे बेचेगा।
इन प्रयासों की
उपलब्धि क्या होगी?
इस पोर्टल की मुख्य उपलब्धि किसानों को किसी भी मौजूदा कृषि-उपज बिक्री प्रणाली से स्वतंत्र बनाना है, क्योंकि यह उत्पादक-गेट टू कंज्यूमर-गेट अवधारणा पर आधारित नहीं है। केवल हमारी डी2सी या डायरेक्ट ऑनलाइन सेलिंग विचारधारा ही सीधे उनके हाथों में उनके उत्पादों का उचित और अंतिम मूल्य लाएगी। यह खरीदारों को वैल्यू
फॉर मनी भी देगा। यहां सभी खरीदारियां एफपीसी के किसान सदस्यों को सीधे लाभ पहुंचाएंगी। यही कारण है कि हमने किसान और कारीगर कंपनियों के लिए किंकबाजार.इन नाम से डायरेक्ट सेलिंग प्लेटफॉर्म बनाया है|
इस निजी स्वार्थ रहीत व्यवस्था का जिम्मेदार मालिक कौन है?
किंकाबज़ार.इन इस मंच तथा व्यवस्था का मालिक, एक एन.जी.ओ. है, जो कंपनी कानून २०१३।१४ के तहत धारा ८ से प्रस्थापित कि गयी हैं।
यह ना मुनाफा ना नुकसान तत्वों पे कार्य करने के लिए बनायी गयी हैं।
जिसका नाम है,श्री विश्व समर्थ विलेज फाऊंडेशन। यह संस्था केंद्र सरकार, निती आयोग, आयकर विभाग और सुक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योग मंत्रालय आदी में पंजिकृत हैं। यह एनजीओ गांवों के सशक्तिकरण के लिए अथक प्रयास कर रहा है।
क्या यह सफल
हो सकता है?
हां, यह उसकी विशेषता, उसके सिद्धांतों, लाभ रहीत स्वामित्व और हटकर सोचनेके के कारण होगा।
पहला कारण, तो यह सभी उत्पादक और उनके उपभोक्ताओं के बीच एक सीधा संबंध प्रस्थापित करता है।भारत में किसी भी वस्तु और सेवाओं की ऑनलाइन बुकिंग और खरीदारी ने सबसे अधिक लोकप्रियता हासिल की है। बड़े हो या छोटे शहरों में यह जीवन की दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। दूसरा, हालांकि हम इस क्षेत्र में नवीन होने के बावजूद; पिछले सात वर्षों का हमारा अनुसंधान, उपभोक्ता विपणन और वित्तीय क्षेत्र का ४५ वर्षों का गहन अनुभव, व्यक्तिगत लाभ की अनिच्छा, और समाज को वापस देने की तीव्र इच्छा से हमने एक अद्वितीय नि:स्वार्थी प्रणाली तैयार की है जो अन्य स्व-लाभ कमाने वाले ऑनलाइन ई-वाणिज्य मंच से अलग है। आपूर्तिकर्ता किसान (उनकी स्वयं की एफपीसी या धारा 8 कंपनी के माध्यम से) और उपभोक्ताओं के लिए, हम इसे " किसानों के बीज से, उपभोक्ताओं के भोजन की सुचारु व्यवस्था" ऐसे कह सकते हैं। ऑनलाइन विपणन, बिक्री, बंटाई और वितरण के इस पूरे चक्र में अन्य ऑनलाइन मंचोंकी (पोर्टलों) की तरह, निजी लाभ के लिए मुनाफाखोरी करना, किसी भी हालत में, कैसे भी अधिकतम लाभ कमाना हमारा मकसद नहीं है।

क्या है किंकाबज़ार.इन कि खासियत?
पहली विशेषता, किंकाबाजार.इन भारत के सभी कृषकों, किसानों, कारीगरों, सूक्ष्म और लघु निर्माताओं के एक आभासी (वर्च्युअल) विभाग के रूप में कार्य करता है। यह इनके उत्पाद के विपणन, बिक्री, बंटाई और वितरण की पूर्णत: जिम्मेदारी लेता हैं। यह एक डी2सी प्लेटफॉर्म है। यहां कोई भी निर्माता या किसान कंपनी, एक विक्रेता के रूप में, अपना खुदका ब्रांड बना सकता है और निर्धारीत खुदरे मूल्य पे अपनी उपज बेच सकता हैं। बडी बात तो यह हैं कि उन्हे विपणन, बिक्रि, भंडारण, बंटाई और वितरण आदी व्यवस्थामे पहले पैसे नही लगाने पडते। हमने निर्माता-विक्रेताओं और उनके उपभोक्ताओं को सीधे लाभ पहुंचाने के लिए एक चिरस्थायी समाज उपयोगी व्यवसायिक ईको सिस्टम बनाया है।जिसका किंकाबाजार.इन एक चोटी का विभाग है।
दुसरी विशेषता: इन उत्पादकों द्वारा प्रत्यक्ष सिधे बिक्री से, इन उपभोक्ताओंको निम्नलिखीत मामलों की सुविधा मिलती हैं।
१. उचित मूल्य,
२. सुनिश्चित गुणवत्ता (प्रमाणित 8 श्रेणियां)
३. मूल की पुष्टि
४. किसान-उत्पादक आपूर्तिकर्ता है इसलिए मिलावट की न्यूनतम संभावना।
५. किराना और कारीगर उत्पादों की पूरी श्रेणी एक ही छत के नीचे उपलब्ध।
६. एक परिवार की मासिक और घर गृहस्थि की सभी प्रकारकी जरुरतें
इस पोर्टल पर उपलब्ध होंगी।
जो उत्पाद प्रमाणित और परीक्षण श्रेणी में उपलब्ध हैं, उनके गुणवत्ता कि प्रामाणिकता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए, किंकाबाजार उन उत्पादों की बैचवाइज परीक्षण रिपोर्ट, उन आपूर्तिकर्ताओं के नामसे उपलब्ध कराके प्रकाशित करता है।स्वाभाविक रूप से प्रत्येक उपभोक्ता को पैसे की कीमत और संतुष्टि मिलती है।
तीसरी विशेषता: उपभोक्ता के दृष्टिकोण से इन उत्पादों को खरीदने
पर खर्च किया गया उनका पैसा कृषि उत्पादक किसानों के पास सीधे पहूँचता है। जिससे दोनो पक्षोंको आर्थिक लाभ और मानसिक संतुष्टी मिलती है।
चौथी विशेषता: बिना किसी बाहरी प्रभाव के, उपभोक्ता और आपूर्तीकर्ता-निर्माता के बीच एक कड़ी और जुड़ाव पैदा होता है।
पांचवी विशेषता: किंकाबाजार.इन पर किसी भी गांव के सभी कृषि उत्पादक कि
सान और कारीगर अपने स्वयं के एफपीसी या पीसी के माध्यम से वास्तविक
खुदरे दाम (एमआरपी) पर शहर के उपभोक्ताओं को साल भर अपनी उपज बेच सकते हैं।
यह सभी बिचौलियों, एजेंटों और मध्यस्थोंको को हटा देता है, जो आज तक किसान समुदाय की असंगठित प्रकृति और उनके व्यवसाय प्रबंधन कौशल की कमी के कारण अत्यधिक लाभान्वित हुए हैं। हमारा उपरोक्त नामित मंच (पोर्टल) वास्तव में अन्य सभी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से अलग है क्योंकि यह मंच के मालिक और सुविधाकर्ताओं के बजाय, निर्माता आपूर्तिकर्ताओं को अधिकतम वित्तीय लाभ दिलाता हैं।
प्रारंभ में हम अनाज और किराना उत्पादों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जो किसी भी मानव जीवन के लिए सबसे आवश्यक है।

