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विलुप्त होती पारंपरिक कला को बचाने “किंका बाजार एक ग्रामायन” प्रदर्शनी का आयोजन 10 से 14 मई तक मुंबई में

mjyogendra

       देश की कला एवं संस्कृति को सहेजना आज चिंता का विषय बना हुआ है। देश के विभिन्न राज्यों के कारीगर उत्पाद बना तो रहे हैं लेकिन उनके उत्पादों को सही तरीके से बाजार तक सीधे पहुंचाने के माध्यम बहुत कम है, जिसके चलते वे अपने पारंपरिक कला व्यवसाय को छोड़ते जा रहे हैं।  पारंपरिक भारतीय कला के विभिन्न रूपों के विलुप्त होने के कारण हमारी कला की दयनीय स्थिति के लिए औद्योगीकरण और आधुनिकीकरण को दोषी ठहराया जा सकता है। 


         किंतु इस धारणा को तोड़ने का प्रयास सामाजिक संगठनों द्वारा किया जा सकता है। सरकारी प्रयासों के बीच कारीगरों को बचाने सोशल मूवमेंट की आवश्यकता जरूरी लगती है।

    इसी बात को अपने उद्देश्यों में शामिल कर श्री विश्व समर्थ विलेज फाउंडेशन के मुख्य व्यवस्थापक डाॅ अविनाश साने  के मार्गदर्शन में “स्वाभियान” परियोजना अंतर्गत त्रि-स्तरीय कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। इस क्रम मे साल में एक बार देश भर के विभिन्न राज्यों के बड़े शहर में किसान एवं कारीगर प्रदर्शनी का आयोजन होगा।


         इसके अलावा देशभर के बुद्विजीवियों शोधार्थियों एवं रायटरों के माध्यम से कारीगरों के उत्पादों को विभिन्न तकनीकी एवं प्रिंट माध्यमों पर प्रचारित किया जाएगा। किंका बाजार पोर्टल पर प्रदर्शन के अलावा आॅफलाइन में किंका बाजार चार पहिए वाली चलित दुकान में भी प्रदर्शन किया जाएगा।


10 से 14 मई को मुंबई से भव्य प्रारंभ

स्वाभियान परियोजना के त्रि-स्तरीय कार्यक्रम का भव्य शुभारंभ एमएमआरडी ग्राउंड बीकेसी, बांद्रा, मुबई  से किया जा रहा है। इस प्रदर्शनी में देशभर के कारीगर अपना पंजीयन कर स्टाल बुक करा रहे हैं।


इसी कार्यक्रम में कारीगरों को विपणन प्रणाली से जोड़ने विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित हो रहे है। प्रदर्शनी में सभी स्टाल AC हैं। इस कार्यक्रम में लाखों  आगुंतकों के शामिल होने का इंतजाम किया गया है।

इन कारीगरों को मिलेगा फायदा


1. शिल्पकार

2. वंशकार

3. क्रॉफ्ट आर्ट

4.  मधुबनी पेंटिंग

5.  बुनकर

6. ढोकरा कला

7. हैंडलूम

8 . लकड़ी के शिल्प

9 .काॅटन फैब्स

11. मुर्तिकार

12. आभूषण

13. अन्य कलाकृति

14. हाथ छपाई  साड़ी और हाथ नकाशी साडियां

15 होम डेकोर

16 बांबू के उत्पाद

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